शहडोल:अपर कलेक्टर के आदेश को पूर्व उपसरपंच ने दिखाया ठेंगा, अवैध जमीन पर धड़ल्ले से चल रहा पेट्रोल पंप बनाने का काम

अपर कलेक्टर के आदेश को पूर्व उपसरपंच ने दिखाया ठेंगा, अवैध जमीन पर धड़ल्ले से चल रहा पेट्रोल पंप बनाने का काम 

शहडोल/जयसिंहनगर। ग्राम पंचायत अमझोर में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का मामला सामने आया है। पटवारी से सांठगांठ कर अमझोर ग्राम पंचायत के पूर्व उपसरपंच ने बड़ा घोटाला किया है। सबसे पहले तो सरकारी जमीन पर कब्जा किया और अब उस पर पेट्रोल पंप बनाने की तैयारी चल रही है। अपर कलेक्टर ने निर्माणाधीन जमीन पर रोक भी लगा दी है, लेकिन पूर्व उपसरपंच डंके की चोट पर प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है। 

क्या है पूरा मामला

ग्राम पंचायत के पूर्व उपसरपंच चंद्रमा तिवारी ने अमझोर के पूर्व पटवारी श्रुति तिवारी के साथ मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाया। फिर चरकानाला (अमझोर) पर स्थित शासन की भूमि खसरा क्रमांक 179 रकबा 5.64 एकड़ के अंश रकबा 179/3/1 पर कब्जा कर लिया और कागजों में उस जमीन पर अपना मालिकाना हक बताया और फिर उस पर जोरशोर से पेट्रोल पंप का काम शुरू हो गया। 

अवैध कब्जा में किसने दिया साथ

चंद्रमा तिवारी ने पेट्रोल पंप बनवाने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में आवेदन दिया। ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों से फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र तैयार करके आवेदन के साथ जमा किया और उस पर पेट्रोल पंप काम शुरू हो गया।

कैसे भ्रष्टाचार का हुआ पर्दाफाश

जयसिंहनगर के मशहूर वकील रूद्र प्रताप सिंह ने इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर शहडोल के कोर्ट में निगरानी आवेदन साल 2023-24 में किया, जिसमें खुलासा हुआ कि चंद्रमा तिवारी अपने 2 भाइयों (बालगोविंद तिवारी और राघवेंद्र तिवारी) के साथ मिलकर जिस जमीन पर पेट्रोल पंप बनवा रहा है, वो असल में सरकारी जमीन है।

चंद्रमा तिवारी ने अप कलेक्टर के आदेश को दिखाया ठेंगा

अपर कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लिया और खुद माना कि जिस जमीन पर पेट्रोल पंप बन रहा है वो शासन की जमीन है। इसके बाद अपर कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से जमीन पर चल रहे अवैध निर्माणाधीन पेट्रोल पंप का काम रोकते हुए स्थगन आदेश दिनांक 27-10-2025 को निगरानी प्रकरण क्रमांक 0069/निगरानी/23-24 पर यथास्थिति कायम करने का आदेश जारी किया है। लेकिन अपर कलेक्टर के आदेश के बाद उस जमीन पर जोरशोर से काम चल रहा है।

साल 1993 से चल रहा है अवैध कब्जा का खेल

चंद्रमा तिवारी के पिता जमुना प्रसाद तिवारी ने साल 1993-94 में शासन की जमीन पर अवैध कब्जा किया. एक जमीन (खसरा क्रमांक 179/3) पर खुद कब्जा करके मालिकाना हक का फर्जी दस्तावेज बनवाया और सांठगांठ करके दूसरी जमीन (खसरा क्रमांक 179/2) का पट्टा अपनी बहन सुशीला के नाम पर करवा दिया।

जमीन बेचने के नाम पर कई लोगों से की ठगी 

चंद्रमा तिवारी ने जमीन बेचने के नाम पर कई लोगों से ठगी की है. उसने अपनी बुआ की जमीन को रोड के सामने की भूमि बताकर 13 से 14 लोगों को बेच दी और लाखों रुपये ऐंठ लिए. बाद में खुलासा हुआ कि बेची गई भूमि रोड किनारे ना होकर दूसरी जगह पर है। अब तक उन मासूमों को अपने खून-पसीने की कमाई के पैसों के बदले में जमीन नहीं मिली है और वे दर-दर ठोकरें खा रहे हैं।

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