सर्पदंश से बचाव के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जारी की एडवायजरी
शहडोल। मुख्य
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि वर्षाकाल में
सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। सर्पदंश से बचाव हेतु घबराने की जगह बिना समय खोए
निकटमत स्वास्थ्य केन्द्र में पहुचकर उपचार कराने की जरूरत होती है। उन्होंने
एडवायजरी जारी करते हुए जन सामान्य को सलाह दी है कि वे वर्षा ऋतु में विशेष
सतर्कता बरतें। खेतों में कार्य करते समय जूतेे पहनें, गहरे रंग के कपड़े पहनें और हाथों में
दस्ताने लगाएं। झाड़ियों, पुआल
के ढेर, लकड़ी के गट्ठर आदि स्थानों में काम
करने से पहले वहां डंडे या लाठी से हल्का प्रहार करें। अंधेरे में टॉर्च का उपयोग
करें और बच्चों को बिना देखरेख खुले स्थानों पर न भेजें। घर के आसपास साफ-सफाई
रखें, झाड़ियाँ काटें और कूड़ा-कचरा हटाएं।
घरों की दीवारों में मौजूद दरारें बंद करें और खुले में सोने से परहेज़ करें। यदि
किसी को सर्प ने डस लिया हो तो घबराएं नहीं, शरीर को शांत रखें और तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल
पहुँचें। घाव को चाकू से काटना, चूसना
या उस पर कोई रसायन लगाना अत्यंत हानिकारक है। झाड़-फूंक, टोना-टोटका या तांत्रिक क्रियाओं में
समय नहीं गवाएं। यह समय जीवन रक्षक हो सकता है, इसलिए हर क्षण अमूल्य है। सर्पदंश ग्रसित व्यक्ति को यथाशीघ्र
अस्पताल ले जाएं। यदि संभव हो तो सांप का रंग, लंबाई या कोई चित्र याद रखें लेकिन उसे मारने या पकड़ने का प्रयास न
करें, इससे और खतरा हो सकता है। कई बार सांप
विषैला नहीं भी होता है, पर
उपचार में देर जानलेवा साबित हो सकती है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि वे
सर्प-दंश से संबंधित इस आपदा को गंभीरता से लें। शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा किए
गए प्रबंध तभी प्रभावी होंगे जब नागरिक स्वयं भी सावधानी बरतेंगे, समय पर उपचार लेंगे और जागरूकता फैलाने
में सहयोग करेंगे। संयुक्त प्रयासों से ही सर्पदंश से होने वाली जनहानि को
नियंत्रित किया जा सकता है।
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