शहडाेल:गुरु, शिक्षा के साथ व्यक्तित्व का निर्माण करते है


गुरु, जीवन में दीपक के समान होते हैं

शिक्षको ने विद्यार्थियों को बताया गुरू पूर्णिमा का महत्व

शहडोल। गुरू पूर्णिमा उत्सव के प्रथम दिवस के अवसर पर शहडोल जिले के विद्यालयों में प्रार्थना सभा के बाद गुरू पूर्णिमा के महत्व और पारंपरिक गुरू-शिष्य संस्कृति के बारे में, प्राचीन काल में प्रचलित गुरूकुल व्यवस्था एवं उसका भारतीय संस्कृति में प्रभाव पर निबंध प्रतियोगिता जैसे अन्य गतिविधिया आयोजित की गई।

 गुरू पूर्णिमा उत्सव के प्रथम दिवस के अवसर पर संभागीय मुख्यालय शहडोल के शासकीय लक्ष्मीबाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य शासकीय लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय श्रीमती साधना जैन ने गुरू पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि यह पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन एवं महाभारत की रचना की। गुरु का कार्य केवल पाठ पढ़ाना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का निर्माण करना भी है।

   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षिका श्रीमती अरूणिमा सिंह ने गुरु पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु हमारे जीवन में मार्गदर्शन करने वाले दीपक के समान होते हैं, जो अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। इस दिन महर्षि वेदव्यास के जन्म को भी स्मरण किया जाता है। गुरु हमें जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने की समझ देते हैं और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना सिखाते हैं।

इस अवसर पर श्रीमती सुनीता दादोरिया, श्री महेंद्र सिंह बेस,छाया प्रधान, राजेश श्रीवास्तव लाल जी तिवारी एवं विद्यालय के सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

    गुरू पूर्णिमा उत्सव के प्रथम दिवस के अवसर पर शहडोल जिले के पी.एम. श्री शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ब्यौहारी, शासकीय हाई स्कूल महदेवा, शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ब्यौहारी में निबंध प्रतियोगिता, गुरू पूर्णिमा का  महत्व शिक्षकों द्वारा बताया गया। इस अवसर पर संबंधित  विद्यालयों के प्राचार्य, शिक्षक, छात्र-छात्राएं उपस्थित थें।



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