अन्तर्राष्ट्रीय गीता दिवस का संभाग स्तरीय कार्यक्रम सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल में सम्पन्न
शहडोल। अन्तर्राष्ट्रीय गीता दिवस पर संभाग स्तरीय कार्यक्रम सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल में धार्मिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के बीच सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृत महाविद्यालय के सेवा निवृत्त प्राचार्य डॉ. रामकिशोर द्विवेदी, कलेक्टर डॉ. केदार सिंह, सीईओ जिला पंचायत शिवम प्रजापति, संयुक्त आयुक्त विकास मगन सिंह कनेश, जनपद अध्यक्ष सोहागपुर श्रीमती हीरावती कोल, उपाध्यक्ष शक्ति सिंह सहित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर की गई। इस अवसर पर रामावतार साहू द्वारा मर्यादा है, इस देश की पहचान है गीता, पूजा है धरम गीत है ईमान है गीता, सुन ले-सुन ले ध्यान से प्राणी गीता ज्ञान है अमृतवाणी की सस्वर प्रस्तुति दी गई। गीता महोत्सव का आयोजन मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के वीर भारत न्यास, जनसंपर्क विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, जेल विभाग, कृष्ण पाथेय न्यास एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 3 दिसंबर तक किया जाएगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय शहडोल डॉ. रामकिशोर द्विवेदी ने विश्व गीता प्रतिष्ठाम् द्वारा श्रीगीता के प्रचार-प्रसार एवं उपदेशों को हर घर तक पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता के कर्मयोग सिद्धांत से निष्ठापूर्वक अपने कर्म पथ पर दृढ़ होकर चलने की प्रेरणा मिलती है। महाभारत युद्ध के दौरान योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के गहन संसयों और जिज्ञासाओं से उपजे प्रश्नों के समाधान स्वरूप ज्ञान-योग, कर्म-योग और भक्ति-योग, के त्रि-गत संयोग से सनातन के आधारभूत चिंतन की भाव -भूमि तैयार की है। श्रीगीता ग्रंथ शब्दों का संग्रह नहीं अपितु भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली हुई वाणी है। गीता पाठ के अध्ययन से जाने अनजाने हुए गलत कर्मों से मुक्ति मिलती है। आंतरिक शुद्धि का साधन है श्रीगीता का नियमित पाठ।
गीता अनुरागी श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के विरासत भी विकास भी की संकल्पना के मूल विचार मे सनातन परंपराएं, मान्यताएं और उसके कल्याणकारी सामाजिक परिणामों पर आधारित यह कार्यक्रम नई पीढ़ी को सनातन से परिचय कराने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन आदर्शों एवं वचनों को अपने दैनिक कार्य व्यवहार मे लाएं। जहां श्रीकृष्ण हैं, वही श्री हैं, वहीं समृद्धि है, वही विजय है।
कार्यक्रम में 6 वर्षीय देवेश सिंह ने गीता पाठ की प्रस्तुति देकर उपस्थित जनों को भाव-भोर कर दिया। इस अवसर पर सरस्वती स्कूल की छात्रा कुमारी तन्यु देवी यादव ने अष्ठादश श्लोक, महर्षि विद्या मंदिर के छात्र तनुश्री गुप्ता, वेदान्त, अनिल तिवारी, वेदकृष्ण सिन्हा एवं अन्य छात्र-छात्राओं ने श्रीगीता के सप्तम अध्याय का सस्वर पाठ किया। महर्षि विद्या मंदिर के छात्र सुदीप पटेल ने बताया कि श्री गीता जयंती का आयोजन अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसी दिन योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र में ज्ञान दिया था।
जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के सेवा निवृत्त प्राचार्य श्री आरएस गौतम के मार्गदर्शन में श्रीमद्भगवत गीता के 15वें अध्याय का सामूहिक सस्वर पाठ संपन्न कराया गया। सेवा निवृत्त प्राचार्य श्री केपी चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता सभी ग्रंथों का सार है। भारत में ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी श्रीगीता को मान्यता मिली है। जो राष्ट्र के लिए गौरव की बात है। जहां भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले उपदेशों की धारा प्रवाहित हेाती है वहां सद्मार्ग स्वयं ही पुष्पित एवं पल्लवित होने लगता है।
इस अवसर पर उज्जैन के दशहरा मैदान में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी विद्यालय में दिखाया गया, जिसमें मुख्यमंत्री जी के लाइव उद्बोधन को विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने ध्यानपूर्वक सुना। मुख्यमंत्री जी ने गीता को भारतीय संस्कृति का अमूल्य ज्ञानकोष बताते हुए युवाओं से इसके उपदेशों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा श्रीगीता पाठ करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्रीमती भारती गुप्ता, विष्णु मिश्रा, व्यापारी संघ के अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता, रामावतार साहू, राम खेलावन द्विवेदी, रमाकांत मिश्रा, रामनाथ द्विवेदी, विक्रम सिंह, गणमान्य नागरिक, प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार, शिक्षक, विद्यार्थी तथा बड़ी संख्या में गीता अनुरागी लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक विवेक पाण्डेय ने किया। आभार डीपीसी अमरनाथ सिंह ने किया।

एक टिप्पणी भेजें