नेताओं द्वारा नियमों को तक में रखकर अधिकारियों की जा रही शिकायत
शहडोल। अनूपपुर के यातायात व्यवस्था को कमजोर करने में भाजपा नेता क्यों है आमदा तभी तो पूर्व मंत्री विशाहू लाल द्वारा अपने छोटे से भाजपा नेता के कहने पर पत्र को माध्यम बनाकर प्रदेश के मुखिया से यातायात प्रभारी ज्योती दुबे को हटाने की मांग की गई जहां अनूपपुर यातायात व्यवस्था इन दिनों सुदृढ होते हुए दिखाई दे रही है वही भाजपा के ही पदाधिकारी द्वारा नियमों का उल्लंघन कर अधिकारियों को कमजोर करने की हर कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं जबकि व्यवस्था को सुनियोजित करने में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है यह सिर्फ वह अधिकारी ही जानता है जो उस व्यवस्था को सुनियोजित कराने में लगा हुआ होता है। नेताओं का क्या इन्हें तो बस अपनी शेखी भघारनी है।
यह है मामला अनूपपुर में भाजपा नेता द्वारा अपनी गाड़ी नो एंट्री में खड़ी कर अपनी दबंगई दिखाई जा रही थी जिस पर यातायात प्रभारी अनूपपुर द्वारा शासन के नियम अनुसार कार्यवाही की गई जिस बात को लेकर नेताजी पूर्व मंत्री विशाहूलाल के पास पहुंचकर यातायात प्रभारी की शिकायत कर हटाने की मांग की गई जिस पर पूर्व मंत्री द्वारा पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से संबंधित अधिकारी को हटाने की मांग की गई जबकि अगर पूर्व मंत्री द्वारा दोनों पक्षों को सुना जाता तो शायद नियम कहीं ना कहीं नेताजी पर भारी पड़ता ही दिखाई देता।
नियमों का पालन कराने में करनी पड़ती है मशक्कत
मध्य प्रदेश शासन द्वारा जहां नियम बनाए जाते हैं वहीं उन नियमों को तोड़ने वालों की संख्या कम नहीं होती जिसके लिए संबंधित अधिकारी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है पर अधिकारी उस समय अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है जब नेताजी जिन्हें स्वयं के साथ लोगों को भी उन नियमों के बारे में बताना चाहिए लेकिन जब इन्हीं के द्वारा उन नियमों को दरकिनार कर संबंधित अधिकारी पर ही दोषा रोपण किया जाने लगे तो फिर अधिकारी करें भी क्या।
दो पक्षो के बीच पिस रहे अधिकारी
एक तरफ शासन द्वारा नियमों को तैयार कर उनका पालन करवाने हेतु अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया जाता है वहीं दूसरी ओर नेताओं द्वारा इसी तरह अपने पार्टी का दमखम दिखाने में जरा भी संकोच नहीं करते अधिकारी कर भी तो क्या जहां आज आए दिन सड़क दुर्घटनाएं देखने को मिलती है जिसको लेकर गली-गली एवं गांव गांव सड़क सुरक्षा अभियान चला कर लोगों को जागरूक किया जाता है किंतु वही इस तरह के जिम्मेदार लोग अपनी सही भूमिका ना निभा कर बल्कि गलत दिशा में जाने का प्रयास करते हैं और अगर अधिकारी कुछ कहते भी है तो उन पर ऐसे बरसते हैं मानो की सब कुछ उन्हीं के द्वारा गलत किया जाता है। इस तरह में सड़क सुरक्षा अभियान कैसे होगा सुचारू।
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