सक्ती:"रक्षा बंधन 2025: प्रेम, रक्षा और विश्वास का पावन पर्व"

"रक्षा बंधन 2025: प्रेम, रक्षा और विश्वास का पावन पर्व"

रक्षा बंधन पर विशेष समाचार रिपोर्ट

तुला राम सहीस स्वतंत्र पत्रकार

सक्ती। रक्षा बंधन का पर्व इस बार 2025 की तिथि के अनुसार] बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पावन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं।

धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व

रक्षा बंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह विश्वास, स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को रक्षा सूत्र बांधा था और भगवान ने उनकी लाज बचाई थी। इसी तरह ऐतिहासिक प्रसंगों में रानी कर्णावती और हुमायूं की कथा भी प्रचलित है, जिसमें राखी ने भाईचारे का संदेश दिया।

पूजा-विधि

1. सबसे पहले भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठाया जाता है।

2. बहनें आरती करती हैं और माथे पर तिलक लगाती हैं।

3. मिठाई खिलाकर राखी बांधी जाती है।

4. भाई बहन को उपहार व आशीर्वाद देता है।

देशभर में उल्लास का माहौल

बाज़ारों में रंग-बिरंगी राखियों, उपहारों और मिठाइयों की रौनक है। जगह-जगह मिठाई की दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है। कई स्कूल और सामाजिक संस्थाएं ‘विशेष राखी कार्यक्रम’ आयोजित कर रही हैं, जहां सैनिकों, पुलिसकर्मियों और जरूरतमंद बच्चों को राखी बांधकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जा रहा है।

विशेष पहल

कई शहरों में महिलाएं सीमा पर तैनात जवानों के लिए राखियां भेज रही हैं।

पर्यावरण प्रेमी बहनें बीज वाली राखी और इको-फ्रेंडली राखियों को बढ़ावा दे रही हैं।

ऑनलाइन गिफ्ट पोर्टल्स पर डिजिटल राखी और वर्चुअल ग्रीटिंग कार्ड का चलन बढ़ा है।

त्योहार का संदेश

रक्षा बंधन हमें यह सिखाता है कि रिश्तों में केवल खून का नाता ही नहीं, बल्कि आपसी विश्वास, सम्मान और प्रेम भी उतना ही जरूरी है।

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