हसौद परिक्षेत्र के इतिहास में पहली बार 251 कुंडलीय गायत्री महायज्ञ का ऐतिहासिक शुभारंभ
आध्यात्मिक साहित्य, सांस्कृतिक चेतना और वैदिक परंपराओं का विराट संगम
सक्ती। जिले के ग्राम पंचायत हसौद में 9 दिसंबर 2025 से आरंभ हुआ 251 कुंडलीय गायत्री महायज्ञ पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक समृद्धि और साहित्यिक चेतना का एक अद्वितीय वातावरण निर्मित कर रहा है। यह आयोजन न केवल हसौद परिक्षेत्र के इतिहास में पहली बार संपन्न हो रहा है, बल्कि यह गाँव की धार्मिक–सांस्कृतिक परंपरा में एक स्वर्णिम अध्याय का सृजन भी कर रहा है
मंगल कलश यात्रा — सांस्कृतिक शालीनता और साहित्यिक अध्यात्म का विराट दृश्य
समारोह के प्रथम दिवस मंगलवार को निकाली गई मंगल कलश यात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्ति और श्रद्धा के रंगों में रंग दिया। सिर पर मंगल कलश धारण किए सुसज्जित महिलाओं का अनुशासित समूह, वेद-मंत्रों का मधुर पाठ, सांस्कृतिक वाद्यों की ध्वनियाँ और श्रद्धालुओं की लंबी कतार—इन सबने मिलकर यात्रा को एक साहित्यिक-आध्यात्मिक महाकाव्य का दृश्य प्रदान किया।
यात्रा में हसौद परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गाँवों से श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व सहभागिता रही। जनसमूह का उत्साह और अनुशासन इस बात का साक्ष्य था कि यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान न होकर, लोकजीवन की सामूहिक आस्था का उत्सव है।
देश–प्रदेश से श्रद्धालुओं की सतत आमद, साधना-पथ पर सार्थक संवाद
महायज्ञ की आहट के साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड एवं उत्तर भारत के कई राज्यों से भी साधक एवं श्रद्धालु आना प्रारंभ हो गए हैं। आयोजन स्थल पर व्याप्त वातावरण ऐसा प्रतीत होता है मानो शांतिकुंज हरिद्वार की पवित्र छवि यहाँ मूर्तिमान हो गई हो।
श्रद्धालुओं और आगंतुकों के मध्य धर्म, संस्कृति, कर्तव्य और साहित्यिक विचारधाराओं पर निरंतर संवाद हो रहे हैं, जिससे यह आयोजन एक आध्यात्मिक-साहित्यिक संगोष्ठी का रूप लेता दिखाई देता है।
चार दिवसीय महायज्ञ — साहित्य, संस्कृति और सदाचार का समन्वित आयोजन
9 से 12 दिसंबर 2025 तक चलने वाले इस चार दिवसीय अनुष्ठान में अनेक वैदिक कर्मकांड, यज्ञोपदेश, सत्संग प्रवचन, साहित्यिक विमर्श, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और जनजागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।
आयोजकों के अनुसार देश–प्रदेश के कई प्रख्यात विद्वान, साहित्यकार, आध्यात्मिक मार्गदर्शक एवं विशिष्ट अतिथि इस महोत्सव में शामिल होंगे। उनके आगमन से कार्यक्रम की गरिमा और अधिक बढ़ने की संभावना है।
हसौद क्षेत्र में आध्यात्मिक अनुशासन और साहित्यिक ऊर्जा की तरंगें
महायज्ञ के शुभारंभ के पश्चात पूरे हसौद परिक्षेत्र में आध्यात्मिक उर्जा और सांस्कृतिक अनुशासन की विशिष्ट अनुभूति होने लगी है। ग्रामवासी, महिला मंडल, युवा संगठन और स्वयंसेवक—सभी इस आयोजन को सफल बनाने की दिशा में पूर्ण निष्ठा से कार्यरत हैं।
वातावरण में भक्ति के साथ-साथ साहित्यिक प्रेरणा, नैतिक जागरूकता और सामाजिक सौहार्द की धारा प्रवाहित होती प्रतीत हो रही है, जो इसे मात्र धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि मानव-मूल्यों के पुनर्जागरण का पर्व बना रही है।

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