जिले में दो दो मंत्रियों की उपस्थिति,पर राज चला रहे वन मंडल अधिकारी, न आदेश की चिंता, न सरकार का डर
वन परिक्षेत्र कोतमा के टांकी बीट में कटे सैकड़ों हरे पेड़ की कटाई की शिकायत हुई दोनों मंत्रियों से पर कार्यवाही शून्य
अनूपपुर। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिला में इन दोनों कोई विभाग शायद ही ऐसा हो जो भ्रष्टाचार एवं अधिकारियों के अराजकता से अछूता रह गया हो पूरे जिले में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है । जहां अवैध कार्यों को अपराधी बखूबी अंजाम दे रहे हैं। जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों या अधिकारियों के पास पहुंचने के बावजूद किसी तरह की कोई कार्यवाही न होने की वजह से इन अपराधियों के हौसले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जोकि अखबारों की सुर्खिया समेत रहा है। प्रतिदिन किसी न किसी विभाग की भ्रष्टाचार या बढ़ते अपराध के ग्राफ की खबर समाचार पत्रों में प्रमुखता के साथ प्रकाशित की जा रही है उसके बावजूद किसी किसी तरह की कोई कार्यवाही ना होना जिले की कानून व्यवस्था को अराजकता की ओर धकेल रहा है।
वन माफियाओं के हाथ की कठपुतली बना वन विभाग, या दोनों की गठजोड़ उजाड़ रही जंगल
सब विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त है फिर वन विभाग की संलिप्तता कैसे अधूरी रह जाती अनूपपुर जिले में वर्तमान में पदस्थ वन मंडल अधिकारी की पदस्थापना जब से हुई है पूरे जिले में हरे भरे पेड़ों की कटाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है ।वन परिक्षेत्र कोई भी हो लेकिन कहानी वही है हरे भरे पेड़ों को काटकर वन माफियाओं द्वारा फैक्ट्री में बेचा जा रहा है जिसका सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वन मंडल अधिकारी की पदस्थापना जब से हुई है वन अपराधों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है। उसके बावजूद कई बार इसकी शिकायत लोगों द्वारा वन मंडल अधिकारी से मौखिक तथा लिखित रूप में की गई लेकिन वन मंडल अधिकारी का एक ही रटा रटाया बयान होता है, कि चलिए कोई बात नहीं इसको हम दिखाते हैं लेकिन यह मामला यहीं पर दफन कर दिया जाता है। तो क्या वन मंडल अधिकारी को वन अपराधों पर नियंत्रण लगाने में रुचि नहीं है या वन माफियाओं से साठगांठ की गठजोड़ इतनी मजबूत है कि आम जनता की पुकार या शिकायत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जिससे वन अपराधी भी गाहे बगाहे ये कहते सुने जाते हैं
कि जब सैया हुए कोतवाल तो डर काहे का
प्रभारी मंत्री एवं स्वतंत्र प्रभार मंत्री को दिया लिखित आवेदन, वनमण्डल अधिकारी में न डर न भय
अनूपपुर वन मंडल के वन परिक्षेत्र कोतमा की टांकी बीट के अंतर्गत साल के सैकड़ो हरे-भरे पेड़ों का कत्ल वन माफिया ने बेखौफ होकर कर दिया जिसकी शिकायत पटवारी,ग्राम पंचायत, कलेक्टर,वन मंत्री तथा जिले के स्वतंत्र प्रभार मंत्री सभी से लिखित रूप से करने के बावजूद किसी तरह की कोई कार्यवाही आज दिनांक तक नहीं की जा सकी है ।आवेदन देने के बाद अगर कुछ मिला है तो वह है केवल एक *झूठा आश्वासन* जब जिले के दो-दो मंत्रियों से शिकायत के बावजूद किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है ।तो सोचने वाली बात यह है कि आखिर वन संरक्षण के लिए इन हर-भाड़े पेड़ों को कटने से बचाने के लिए मुख्यमंत्री के पास ही जाना बाकी रह गया है। क्या वन मंडल अधिकारी की पहुंच इतनी ज्यादा हो गई है कि दो-दो मंत्रियों से शिकायत का भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। भ्रष्टाचार की जड़ो ने अपनी जड़े इतनी मजबूत कर ली है कि अब किसी भी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर कार्यवाही होना संभव नहीं है।
मान गए वन मंडल अधिकारी जी धौंस हो तो आप जैसी
अनूपपुर वन मंडल के अंतर्गत कट रहे हरे पेड़ों पर जिस तरह से वन मंडल अधिकारी अनूपपुर में आंखें मूंद ली है,और वन माफियाओं को खुली छूट दे रखी है ।जिसकी शिकायत जिले के दो-दो मंत्रियों से करने के बावजूद कोई फर्क ना पड़ना आपकी ऊपर तक पहुंच को प्रदर्शित करता है। मानना पड़ेगा कि आप शायद सरकार से भी ऊपर स्थान रखते हैं अगर ऐसा ना होता तो इतने वृक्ष कट जाने के बाद पूरे वन मंडल में हड़कंप मच चुका होता।
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